Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मस्जिद केस में 355 वर्ष पुराना विवाद एएसआई {ASI} के सर्वे रिपोर्ट से सॉल्व होने के कगार पर है 33 वर्षों से अदालत में मुकदमेबाजी चल रही थी 1991 में लॉर्ड विशेश्वर नाथ ने पहली बार याचिका दायर किया था।
ज्ञानवापी मस्जिद केस में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई की सर्वे रिपोर्ट से ज्ञानवापी का 355 वर्ष से चल रहा विवाद अब शायद खत्म हो सकता है ज्ञानवापी विवाद 1669 से चला आ रहा है 33 वर्षों से यह मामला कोर्ट में विचारधीन है यह रिपोर्ट बृहस्पतिवार को पक्षकारो को मिल सकता है फिर आगे की कानूनी लड़ाई तय होगी।
Gyanvapi Masjid Case में ASI भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई रिपोर्ट से क्या जानकारी हासिल होगा
सर्वे रिपोर्ट से समाधान की राह आसान हो जाएगी इस रिपोर्ट के सर्वे को आधार बनाकर दोनों पक्ष के पक्षकार साक्ष्य दावा कर सकते हैं अदालत में साक्षो के आधार पर ही अदालत अंतिम आदेश पारित करेगा।
इसी के सूत्रों के मुताबिक ग्राउंड पेनेट्री ट्रिंग रडार सीपीआर तकनीक से जो प्रमाण सबूत आए गए हैं वह वैज्ञानिक आधार पर बहुत महत्वपूर्ण साबित होंगे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई के द्वारा एक विशेष टीम जुटाई गई थी जिसे जुलाई अगस्त सितंबर अक्टूबर और नवंबर 2023 तक ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया था।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई के रिपोर्ट में यह साफ हो गया सिल वजू खाने को छोड़कर परिसर के कोने-कोने से सबूत जुटाए गए हैं और मिट्टी की जांच की गई है दीवारों पर बने रेखाओ की फोटो वीडियो ग्राफी एएसआई के द्वारा की गई है और यह भी देखा गया है कि यह प्रतीक चिन्ह किसी पुरानी सदियों में बनाई गई होगी।
ज्ञानवापी के तहखानों से काफी प्रमाण एएसआई को हाथ लगे हैं जो साफ-साफ ऐतिहासिक सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को दर्शा रहा है इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले ही यह कर चुका है कि ज्ञानवापी के मामले में पूजा स्थल अधिनियम लागू नहीं होगा इसीलिए प्रमाण के आधार पर अदालत को फैसला सुनाने में कोई दिक्कत नहीं होगा।
क्या औरंगजेब ने ध्वस्त कराया था मंदिर
हिंदू पक्ष के तरफ से अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी का दावा है कि मुगल शासक औरंगजेब ने 1659 में ज्ञानवापी मंदिर को ध्वस्त करवा दिया था और मंदिर के ऊपरी हिस्से को मस्जिद का रूप दे दिया और इस मस्जिद में तीन गुंबद भी बनवाए थे मुख्य गुंबद के नीचे एक शिवलिंग है वहां धक-धक की आवाज आती है और सेल बाजू खाने में शिवलिंग मिला है इसीलिए अब बात पूरी तरह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के रिपोर्ट पर आ जाएगी और सच सामने आ जाएगा सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक।
पानी टंकी के एरिया को किया गया था सिविल
आपको बता दें कि इससे पहले दिसंबर में एएसआई ने जिला अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर सील बंद लिफाफे में सर्वेक्षण रिपोर्ट कोर्ट को सौंप थी और अब पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट की देखरेख में ज्ञानवापी का वजू खाना और स्नान क्षेत्र की सफाई का काम पूरा कर दिया गया है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 16 जनवरी को ज्ञानवापी मस्जिद में पानी टंकी के सफाई के लिए हिंदू महिला वादी द्वारा याचिका को अनुमति दे दी थी जो इस क्षेत्र में स्थित है जिसे सील करके रखा गया था।
Gyanvapi Masjid Case में अभी तक क्या-क्या हुआ है
1991: लॉर्ड विशेश्वर नाथ ने मुकदमा दाखिल कर पहली बार पूजा पाठ के अनुमति मांगी थी इस पर जिला अदालत ने सुनवाई की और मामला विचारधिन ही रह गया।
1993: मैं इलाहाबाद हाई कोर्ट के तरफ से यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश पारित किया गया था।
2018: सुप्रीम कोर्ट के द्वारा स्टे आर्डर की वैधता 6 महीने बताई गई थी।
2019: वाराणसी जिला अदालत में ज्ञानवापी की सुनवाई फिर से शुरू हो गई थी।
2023: जिला जज की अदालत ने सील बाजू खानों को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया था सर्वे का पूरा रिपोर्ट अदालत में दाखिल की गई इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1991 के लॉर्ड विशेश्वर मामले में स्टे आर्डर हटाया था और एएसआई से सर्वे करने और रिपोर्ट निचली अदालत में देने का आदेश दिया था।
2024: जिला जज की अदालत ने एएसआई की सर्वे रिपोर्ट पक्षकारों को उपलब्ध करने का आदेश पारित किया है।
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ASI के सर्वे में 10 बड़ी बाते
ASI की रिपोर्ट नवभारत जैसे न्यूज़ चैनल पर प्रकाशित की गई है आप वहां से इसकी पूरी जानकारी ले सकते हैं
- मस्जिद से पहले वहां बने मंदिर में बड़ा केंद्रित कच्छ और उत्तर की ओर छोटा सा कक्षा था।
- 17वीं शताब्दी में मंदिर को तोड़कर उसके हिस्से को मस्जिद में समाहित किया गया।
- मस्जिद के निर्माण में मंदिर के खाबो के साथ अन्य हिस्सों का बिना ज्यादा बदलाव किए इस्तेमाल किया गया।
- कुछ खंभो से हिंदू चिन्हो को मिटाया गया है।
- मस्जिद की पश्चिमी दीवार पूरी तरह हिंदू मंदिर का हिस्सा है।
- सर्वे में 32 शिलापट और पत्थर मिले हैं जो वहां पहले हिंदू मंदिर होने का प्रमाण देते हैं।
- शीला पशु पर देवनागरी, तेलुगू और कन्नड़ में आलेख लिखे।
- एक शीला पाठ में जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर लिखा है जबकि एक अन्य सिलापट में ‘महामुक्ति मंडप’ लिखा है।
- मस्जिद के कई हिस्से में मंदिर के स्ट्रक्चर मिले हैं।
- मस्जिद के निर्माण संबंधित एक शीला पट और अंकित समय को मिटाने का प्रयास किया गया है।
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